सावन का दूसरा सोमवार और कामिका एकादशी: शिवालयों में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब__________________

 सावन का दूसरा सोमवार और कामिका एकादशी: शिवालयों में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब__________________

लोकसत्ता भारत

चेतन जैन



सावन का दूसरा सोमवार और कामिका एकादशी: शिवालयों में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

जसवंतनगर/इटावा।
सावन मास के दूसरे सोमवार और कामिका एकादशी के पावन संयोग पर सोमवार को कस्बे सहित पूरे क्षेत्र में आस्था का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। सुबह से ही श्रद्धालु पारंपरिक वेशभूषा में स्थानीय शिवालयों की ओर उमड़ पड़े और ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष से वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
प्राचीन रामेश्वरम शिव मंदिर (कोठी कैस्त) सहित कस्बा के अन्य प्रमुख शिवालयों में शिवभक्तों की लंबी कतारें सुबह से ही लगनी शुरू हो गईं। श्रद्धालुओं ने गंगाजल, दूध, दही, शहद, बेलपत्र व धतूरा से भगवान शिव का अभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना की। महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों ने पूरी आस्था के साथ रुद्राभिषेक, भजन-कीर्तन और पूजा-अर्चना में हिस्सा लिया।

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रबंधन समितियों और स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा व व्यवस्था के विशेष इंतजाम किए। पूरे दिन शिवालयों में भक्तों का आना-जाना बना रहा, जिससे नगर की गलियों में धार्मिक उल्लास की बहार छाई रही।

इस वर्ष सावन मास का दूसरा सोमवार कामिका एकादशी के शुभ अवसर के साथ पड़ा, जिससे इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ गया। मान्यता है कि श्रावण कृष्ण पक्ष की एकादशी पर भगवान विष्णु के ‘उपेन्द्र’ स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत रखने, विष्णु सहस्रनाम का जाप करने और श्रीमद्भागवत गीता के पाठ से अत्यंत पुण्य की प्राप्ति होती है।

शास्त्रों के अनुसार, जो भक्त इस दिन रातभर दीप प्रज्वलित कर श्रीहरि नाम का जागरण करता है, उसे सौ कल्पों तक अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। इस अवसर पर कई श्रद्धालुओं ने व्रत रखकर मंदिरों में विशेष पूजन व सत्संग कार्यक्रमों में भाग लिया।

Chetan Jain

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