*सरकार न मानी तो होगा आंदोलन

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लोक सत्ता भारत
चेतन जैन
इटावा
बेसिक शिक्षा विभाग में किये जा रहे स्कूलों के मर्जर(आपस में विलय) का तमाम शिक्षक संघ अपने अपने स्तर से विरोध कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर प्राप्त हो रही विभिन्न जनपदों की खबरों से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह मर्जर सरकार राइट टू एजुकेशन की नियमावली को ताक पर रखकर कर रही है व रही सही कसर अधिकारी अपने फरमानों द्वारा पूरी कर रहे हैं।
निजी स्कूलों को कुकुरमुत्तों की तरह मानक को ताक पर रखकर मान्यता देना, मदिराओं की दुकानों को बढ़ावा देना और दूसरी तरफ शिक्षा के मंदिरों को बंद करना ग्रामीण अंचल में बिखर रही शिक्षा की अलख को मंद करना है। अटेवा के जिला पर्यवेक्षक राजेश जादौन ने कहा कि
एक तरफ जहाँ दो सरकारी प्राथमिक स्कूलों का आपस में विलय(मर्जर) करने से छात्र संख्या बढ़ेगी व शिक्षक छात्र अनुपात सुधरेगा वहीं इसके इतर कई ऐसे बिंदु हैं जिनपर सरकार का या अफसरों का कोई ध्यान नहीं जा रहा है मसलन स्कूलों की दूरी बढ़ने से एक गाँव के नौनिहाल दूसरे गाँव किस प्रकार पहुँचेंगे? छात्राओं की शिक्षा पर क्या प्रभाव पड़ेगा (बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ)? दिव्यांग छात्रों के लिए क्या व्यवस्था रहेगी? करोड़ों की लागत से बने इन सरकारी स्कूलों के भवनों का क्या होगा? बढ़ती हुई बेरोजगारी में आने वाले समय में शिक्षक भर्ती लगभग समाप्त हो जाएगी। कार्यरत संविदाकर्मी जैसे रसोइया, शिक्षामित्र व अनुदेशकों के नवीनीकरण की क्या व्यवस्था लागू होगी? इनके पद लगभग समाप्त ही हो जायेंगे। पूर्व में भी सरकार ने कई योजनाएं लागू की है जिनमे निजी स्कूलों के तर्ज पर इंग्लिश मीडियम स्कूल हर ब्लॉक में शुरू किए गए थे जो एक या दो वर्ष बाद सरकार की अनदेखी से पुरानी धारा में पुनः लौट आये हैं। संविलियन का काम भी किया गया जिसमें एक ही परिसर में चल रहे बेसिक व जूनियर स्कूलों का विलय किया गया था जिसके परिणाम भी ठीक नहीं रहे।
अटेवा पेंशन बहाली मंच के जिलाध्यक्ष अजय यादव ने कहा कि बेसिक शिक्षा में सरकार द्वारा लगातार प्रयोग किये जा रहे हैं जिससे बेसिक के स्कूल प्रयोगशाला बन चुके हैं। सरकार जानबूझकर शिक्षकों को शिक्षा के कार्य से विमुख कर अपने प्रयोग के कार्यों में लगा रही है जिनमें सबसे ज्यादा ऑनलाइन डेटा फीडिंग शामिल है अन्य गैर शैक्षणिक कार्य तो पहले से किये ही जा रहे थे।
सरकार सभी सरकारी विभागों को पहले बीमार करती है फिर उसको सुधारने का नाटक करती है उसको सुधारने के लिए खरबों का बजट जारी करती है और बाद में जब सुधार आने लगता है तो उस विभाग को निजी हाथों में बेच देती है।
दूरसंचार विभाग से शुरुआत कर सरकार ने ऑर्डिनेन्स फैक्टरी, रेल कोच फैक्टरी, स्टेशन, रेल, बिजली विभाग, ट्रांसपोर्ट, एयर इंडिया, बंदरगाह, एयरपोर्ट सब निजी हाथों को सौंप दिया है और अब देश की बुनियादी शिक्षा भी निजी हाथों में देने की तैयारी है।
अगर सरकार समय रहते न चेती तो अटेवा व तमाम बेसिक व अन्य विभागों के सन्गठन संयुक्त मोर्चा के बैनर तले प्रदेश के प्रत्येक ब्लाक संसाधन केंद्र पर मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन खण्ड शिक्षा अधिकारी के माध्यम से भेजा जायेगा सरकार यदि यह आदेश वापस नही लेती तो 5 जुलाई से ग्रामीण अंचल के लोगों तथा बेरोजगारों के साथ मिलकर आंदोलन करने की रणनीति बनेगी। जिसके लिये अतिशीघ्र जनपद स्तर पर बैठक की जाएगी।