बलिदानी जवान जनवेद सिंह को अंतिम विदाई, गांव में उमड़ा जनसैलाब

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लोकसत्ता भारत
चेतन जैन
बलिदानी जवान जनवेद सिंह को अंतिम विदाई, गांव में उमड़ा जनसैलाब
ऊसराहार (इटावा)।
ताखा क्षेत्र के नगला खलक गांव निवासी सीआरपीएफ के हेड कांस्टेबल जनवेद सिंह यादव (51) की अंतिम यात्रा में हजारों लोग उमड़ पड़े। नम आंखों के बीच क्षेत्रवासियों ने अपने इस वीर सपूत को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि दी। लोगों ने एक स्वर में कहा – “जब तक सूरज चांद रहेगा, जनवेद तेरा नाम रहेगा।”
जनवेद सिंह जम्मू-कश्मीर के पुलवामा क्षेत्र में सीआरपीएफ की 182वीं बटालियन में तैनात थे और अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा ड्यूटी पर नियुक्त थे। मंगलवार रात अमरनाथ यात्रियों के जत्थे को कान्वॉय के साथ सुरक्षित छोड़कर लौटते समय पुलवामा के लित्तर क्षेत्र में उन्हें अचानक हार्ट अटैक आया। उस समय वे बंकर वाहन चला रहे थे। अंतिम क्षणों में भी जनवेद ने वाहन को सुरक्षित करने के लिए अपने साथी की ओर इशारा किया, जिसने स्थिति को संभालते हुए सभी जवानों की जान बचा ली।
साथियों ने उन्हें तत्काल अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक वह बलिदान दे चुके थे।
पार्थिव शरीर के साथ सम्मानपूर्ण विदाई
जनवेद के पार्थिव शरीर को पहले पुलवामा में बटालियन द्वारा अंतिम सलामी दी गई, फिर श्रीनगर से दिल्ली होते हुए सड़क मार्ग से उनके गांव लाया गया। बुधवार रात दिल्ली से 15 सदस्यीय सीआरपीएफ टीम उनके पार्थिव शरीर के साथ नगला खलक पहुंची।
गुरुवार को उनके अंतिम दर्शन के लिए गांव सहित पूरे ताखा क्षेत्र से जनसैलाब उमड़ पड़ा। चारों ओर “जनवेद अमर रहें” के नारे गूंजते रहे।
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
जनवेद का अंतिम संस्कार गांव के समीप मिनी स्टेडियम के पास राजकीय सम्मान के साथ किया गया। 182वीं बटालियन के कमांडेंट अनिल कुमार, 183वीं बटालियन के कमांडेंट राजेश कुमार, कमांडेंट जयसिंह एवं सब इंस्पेक्टर दुरवेश कुमार अपने जवानों के साथ उपस्थित रहे। जीडी इंस्पेक्टर अखंड प्रताप सिंह ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
इस दौरान जब उन्होंने जनवेद के पुत्र विकास और अंकुश को तिरंगा सौंपा, तो दोनों की आंखें नम थीं लेकिन चेहरा गर्व से चमक रहा था।
परिवार और क्षेत्र में शोक की लहर
जनवेद एक माह पूर्व 16 मई को छुट्टी पर घर आए थे। 16 जून को ड्यूटी पर लौटते समय उन्होंने पत्नी मालती देवी, मां सुखदेवी और दोनों बेटों से वादा किया था कि अमरनाथ यात्रा खत्म होने के बाद फिर लौटेंगे।
विलखती हुई मालती देवी ने कहा, “आने का वादा इस तरह कोई निभाता है? पहले की तरह लौटते तो हम सबके चेहरे खिले होते, अब तो पूरा गांव गम में डूब गया।”
अंतिम संस्कार के समय जब बड़े बेटे विकास ने अपने पिता को मुखाग्नि दी, तो वहां मौजूद जवानों की आंखें भी भर आईं।
नेताओं और प्रशासन ने दी श्रद्धांजलि
जनवेद के अंतिम संस्कार में विधायक शिवपाल सिंह यादव के प्रतिनिधि ध्रुव यादव, दिवियापुर के विधायक प्रदीप यादव, सपा जिलाध्यक्ष प्रदीप शाक्य, वरिष्ठ नेता उदयभान सिंह, उपजिलाधिकारी श्वेता मिश्रा, क्षेत्राधिकारी भरथना अतुल प्रधान, तहसीलदार जावेद अंसारी और थानाध्यक्ष बलराम मिश्रा सहित कई जनप्रतिनिधि व अधिकारी शामिल हुए और श्रद्धांजलि अर्पित की।
जनवेद सिंह यादव का बलिदान क्षेत्र, राज्य और राष्ट्र के लिए गौरव का विषय है। वे अमर रहेंगे।