मां ने मोबाइल फोन में गेम खेलने से रोका तो बच्चे ने खा लिया सल्फास,हुई मौत…।।

हमीरपुर में बच्चे के लिए जानलेवा बनी वीडियो गेम की लत,छोटी सी बात पर उठाया बड़ा कदम…।।
हमीरपुरः जिले के थाना मुस्करा क्षेत्र के पहाड़ी भिटारी गांव में मोबाइल गेम खेलने से रोके जाने पर नाराज हुए 13 वर्षीय छात्र ने सल्फास की गोलियां खा लीं..परिजनों ने बच्चे की हालत बिगड़ती देख आनन फानन में उसे सीएचसी लेकर पहुंचे…जहां से डाक्टरों ने उसे मेडिकल कॉलेज उरई रेफर कर दिया यहां भी उसकी हालत में सुधार नही हुआ और फिर उरई से इस बच्चे को झांसी रेफर किया गया..झांसी पहुंचने से पहले ही इस बच्चे की रास्ते में मौत हो गई…घटना से परिवार में कोहराम मचा हुआ है…।।
नवोदय का छात्र था नैतिकः
जानकारी के अनुसार गांव निवासी मनोज राजपूत का बेटा नैतिक (13) नवोदय विद्यालय में कक्षा 6 का छात्र था. इन दिनों गर्मी की छुट्टियों में वह घर आया हुआ था. सोमवार शाम वह मोबाइल में गेम खेल रहा था तभी मां ने उसे टोका और पढ़ने को कहा. इस बात से आहत होकर नैतिक ने मंगलवार दोपहर घर पर रखी सल्फास की गोलियां खा लीं…।।
दादा को बेहोश मिला नैतिक
घटना के समय उसके माता-पिता और दादा खेत में काम कर रहे थे. जब दादा पृथ्वीराज घर लौटे तो नैतिक बेहोश पड़ा मिला तो उन्होंने तुरंत बेटे मनोज को सूचना दी.आनन-फानन में परिजन उसे मुस्करा सीएचसी ले गए, जहां से गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज उरई रेफर कर दिया गया. उरई से झांसी के लिए भेजा गया,लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई….।।
पुलिस ने क्या कहा
थाना प्रभारी मुस्करा योगेश कुमार ने बताया हमें सूचना मिली कि एक छात्र ने जान दे दी. पोस्टमार्टम की कार्रवाई की जा रही है. परिजनों के अनुसार मोबाइल गेम को लेकर मां ने टोका था जिससे नाराज़ होकर छात्र ने यह कदम उठा लिया. मामले की जांच की जा रही है…।।
परिजन बच्चों पर रखें नजर
(1)अगर बच्चा मोबाइल पर ज्यादा वक्त बिता रहा है तो यह पता करें कि वह सबसे ज्यादा क्या देखता है…।।
(2)अगर बच्चा वीडियो गेम खेलता है तो उसे सख्ती के साथ न टोंके बल्कि प्यार से गेम के नुकसान बताएं. साथ ही कुछ पिछली घटनाओं का उदाहरण भी दें…।।
(3)बच्चे के साथ माता पिता ज्यादा से ज्यादा समय बिताना शुरू कर दें, उसे घुमाने फिराने ले जाएं साथ ही प्यार से समझाते रहें…।।
(4)छोटी-छोटी बातों पर बच्चे की सराहना करें और उसे अपने साथ बैठाकर बातें करें ताकि वह आपसे भावनात्मक रूप से और जुड़ जाएं. इसके बाद धीरे-धीरे उसे मोबाइल से दूर करें…।।
(5)इसके बावजूद अगर बच्चा मोबाइल नहीं छोड़ता है तो किसी काउंसलर के जरिए उसकी काउंसिलिंग कराएं…।।
(6)स्कूल के टीचरों को भी बच्चे की समस्या बता दें और ज्यादा सख्ती न करने के लिए कहें.साथ ही क्लास में बच्चों के सामने मोबाइल से होने वाले नुकसान के बारे में बताने के लिए कहें. इससे बच्चा आपकी बात पर विश्वास करने लगेगा…।।
(7)बच्चे को उसकी रुचि के अनुसार जैसे डासिंग, कराटे या स्वीमिंग आदि की क्लास ज्वाइन करवा दें ताकि वह खाली न रहे. इससे धीरे-धीरे वह मोबाइल से दूर होने लगेगा…।।