गौरैया संरक्षण के लिए इटावा सफारी पार्क में 40 घोंसले और सकोरे भेंट*

*गौरैया संरक्षण के लिए इटावा सफारी पार्क में 40 घोंसले और सकोरे भेंट*
“ग्रामीण परिसदीय छात्रों के लिए शुक्रवार को निशुल्क सफारी भ्रमण”
डॉ. अनिल पटेल बोले – “जिंदा हो तो जिंदा दिखाना भी चाहिए”
इटावा।गौरैया अस्तित्व बचाओ अभियान के अंतर्गत रविवार को इटावा लाइन सफारी पार्क में एक प्रभावशाली संरक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें पक्षियों और पशुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गईं।कार्यक्रम के तहत गौरैया संरक्षण हेतु 40 घोंसले, 40 दाना-पानी के सकोरे एवं एक सीमेंट निर्मित नाद पशुओं की प्यास बुझाने के लिए सफारी डायरेक्टर डॉ. अनिल पटेल को गौरैया संरक्षिका डॉ. सुनीता यादव, उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. नरेश कुमार, प्रधानाचार्य डॉ. उमेश यादव, सुभाष यादव (जेल विजिटर, न्याय विभाग) तथा बृजेश यादव (जिला अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक पेंशनर्स यूनियन, इटावा) के संयुक्त प्रयासों से भेंट किए गए।
इस मौके पर डिप्टी डायरेक्टर विनय कुमार सिंह एवं सफारी रेंजर रूपेश कुमार श्रीवास्तव ने सभी का स्वागत करते हुए अभियान की सराहना की।
गर्मी में पक्षियों को राहत देने की पहलभीषण गर्मी में पक्षियों की सुरक्षा के लिए यह एक अत्यंत जरूरी और संवेदनशील कदम रहा, जिसकी सफारी अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा खुले दिल से सराहना की गई।
डॉ. अनिल पटेल का वक्तव्य
“जिंदा हो तो जिंदा दिखाना भी चाहिए” — सभी के हृदय को छू गया और कार्यक्रम का केंद्र बिंदु बना।
डॉ. सुनीता यादव ने कार्यक्रम में बताया कि ग्रामीण अंचलों के परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राएं सफारी भ्रमण से वंचित रहते हैं क्योंकि उनके विद्यालयों में वाहन की सुविधा नहीं है।
इस पर डॉ. पटेल ने बताया कि शुक्रवार के दिन सभी परिषदीय विद्यालयों के छात्रों के लिए निशुल्क भ्रमण की व्यवस्था है।साथ ही, उन्होंने यह भी जानकारी दी कि यदि विद्यालय बीएसए कार्यालय में रोस्टर पर अपना नाम दर्ज कराते हैं, तो सफारी की गाड़ी स्वयं विद्यालय पहुँचकर बच्चों को भ्रमण के लिए लाएगी।
कार्यक्रम के अंत में डॉ. अनिल पटेल द्वारा उपस्थित सभी लोगों को ‘इटावा सफारी पार्क’ नामक सचित्र पुस्तक सप्रेम भेंट की गई, जिसमें पार्क का विस्तृत एवं रोचक विवरण है।
इसके बाद सभी को सफारी पार्क का भ्रमण भी कराया गया।गौरैया संरक्षिका डॉ. सुनीता यादव ने कार्यक्रम के अंत में सभी शिक्षकों से अपील की कि ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को सफारी पार्क ले जाकर उन्हें वन्यजीवों और पक्षियों से परिचित कराने का अवसर अवश्य दें। यह न केवल उनके लिए शैक्षणिक अनुभव होगा, बल्कि इटावा के गौरव ‘सफारी पार्क’ को देखने की प्रेरणा भी मिलेगी।”कार्यक्रम के समापन पर डॉ. सुनीता यादव ने सफारी पार्क के सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों का हृदय से आभार व्यक्त किया।